विशाल भंडारे के साथ हुआ 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का समापन Ink Press News

यज्ञ एवं दान के प्रभाव से संकट टलते है — स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज

गाडरवारा/ नगर में शनि मंदिर के पास एनटीपीसी आडिटोरियम के सामने 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का समापन बीते मंगलवार को विशाल भंडारे के आयोजन के साथ किया गया। कथा के अंतिम दिन श्री भागवत भगवान की आरती के बाद कथावाचक महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने भगवान कृष्ण लीला अंतर्गत कालिया मर्दन, कंस वध , रुक्मणि विवाह एवं सुदामा प्रसंग से जुड़ी संगीतमय कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान कृष्ण की लीलाएं अदभुत है।

भगवान विष्णु के अवतार के रूप में भगवान कृष्ण के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि आजकल हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे है। दुर्भाग्य का विषय है कि आजकल गायों के चारागाहो पर अतिक्रमण हो गया है जो कि सर्वथा अनुचित है। उन्होंने आगे कहा कि आजकल दुर्गुणों से युक्त लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बगुला भक्ति कर रहे है । ऐसे बगुला भक्तों से भगवान बचाये।

उन्होंने भक्ति का महत्त्व बताते हुए कहा कि भक्ति तब तक है जब तक भगवान न मिल जाएं। उन्होंने कहा लोग रुपये पैसों को लक्ष्मी मानते है कि लेकिन उसे शराब, तम्बाकू एवं मांस खरीदने में देते है जो कि अनुचित है। जो धन भगवान के कार्यो एवं सुख देने के कार्य आये उसे ही लक्ष्मी कहना चाहिए। उन्होंने कथा में आगे कहा कि लोगों को यथा संभव दान करना चाहिए ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि यदि किसी औरत का पति दुष्ट हो लेकिन उसकी पत्नी गुणवान हो तो उसके घर का नुकसान नही होता।

उन्होंने कहा कि बच्चे कितने भी बड़े हो जाएं माँ का प्रेम कभी उनके लिए कम नही होता बल्कि बड़े होने पर बच्चों का माँ के प्रति प्रेम आजकल कम होता जा रहा है । उन्होंने कहा कि लक्ष्मीनारायण भगवान का दर्शन करने से विवाह का योग आता है। उन्होंने कथा में शिक्षा देते हुए कहा कि भगवत, भगवान एवं गुरु का दर्शन कभी भी खाली हाथ नहीं करना चाहिए। पौष महीना भगवान को पाने का उत्तम साधन है।

उल्लेखनीय है कि कथा के अंतिम दिन आरती उपरांत कथा का समापन किया गया। अंत मे आयोजक मंडल ने श्रीमद भागवत कथा में सहयोग हेतु सभी सहयोगियों के प्रति आभार जताया एवं कथा समापन उपरांत सभी श्रद्धालुओ ने भंडारे में प्रसादी ग्रहण की । अंतिम दिन की कथा में बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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