अनाधिकृत संस्थानों द्वारा मानद उपाधि डॉक्टरेट बेचने का अवैध धंधा Ink Press News

देश में बड़ी संख्या ऐसे संस्थानों की बाढ़ सी आ गई है जो 30,000 से 1,00,000 रूपेय लेकर विद्यावचास्पति यानी मानद डॉक्टरेट की उपाधियां सम्मान के नाम पर धड़ल्ले से बेच रहें है उक्ताश्य की जानकारी देते हुए मनीष शर्मा संयोजक नागरिक उपभोक्ता मंच, प्रदेश अध्यक्ष आरटीआई विंग आप ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, विश्विद्यालय अनुदान आयोग को पत्र लिखकर ऐसे फर्जी संस्थानों पर तत्काल ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।

इस संदर्भ में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के सदस्यो द्वारा पत्रकार वार्ता कर गंभीर खुलासा किया। गैर मान्यता वाले फर्जी संस्थान मनीष शर्मा ने बताया की लंबी खोजबीन के पश्चात यह मामला उजागर किया जा रहा है बड़ी संख्या में सभी राज्यों में ऐसे संस्थान सक्रिय हैं जो डॉक्टरेट की मानद उपाधि पैसे लेकर बांट रहें हैं जबकि वह उसके लिए ऑथराइज ही नहीं है पूरे सोशल मीडिया में ऐसे संस्थानों के विज्ञापन भरे पड़े हैं।

विश्विद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार मानद उपाधि केवल शेक्षणिक संस्थान ही दे सकते है, परंतु अनाधिकृत संस्थानों द्वारा शैक्षणिक कार्य किया ही नहीं जा रहा न उनका कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर है न ही कोई स्टॉफ न ही UGC या NAAC से मान्यताप्राप्त है, फर्जीवाड़े कल्पना से बाहर है यहां तक इनके द्वारा कागजों पर कुलपति तक नियुक्त किए गए हैं।सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम प्रमाणपत्र उपभोक्ता मंच के प्रफुल्ल सक्सेना, राकेश चक्रवर्ती, मयंक राज, अंकित गोस्वामी, विनोद पांडे ने बताया की यह फर्जी मानद उपाधि बेचने वाले संस्थान शैक्षणिक संस्थानों के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है।

अपितु सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम के लाइसेंस प्राप्त संस्थान है, नीति आयोग में दर्ज गैर सरकारी संगठन है इस से स्पष्ट है की यह मानद उपाधि का व्यापार कर रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कुछ एडू टेक स्टार्टअप की सहायता से विदेशी संस्थान भी जमकर फर्जी मानद उपाधि बांट रहें हैं, सैकड़ों की संख्या में यह संस्थान सक्रिय हैं। सदस्यो ने बताया कि बड़े नेताओं, फिल्म एक्टर्स आदि को बुलाकर बड़े बड़े होटलों में कार्यक्रम आयोजित करते हैं । उपभोक्ता मंच ने तय किया है कि यदि सरकार, यूजीसी द्धारा शीघ्र फर्जी संस्थानों पर कार्यवाही नही की जाती जनहित में मामले को माननीय उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाएंगे।

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