फर्जी मानद उपाधि मामले में यूजीसी ,केंद्र सरकार को लीगल नोटिस Ink Press News

विश्विद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 की धारा 22 में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान है कि यूजीसी से मान्यताप्राप्त संस्थान ही उपाधियां दे सकते है परंतु देश में सैकड़ों ऐसे संस्थान है जो शैक्षणिक कार्य नही करते अपितु एनजीओ है या एमएस एमई में दर्ज व्यापारिक संस्थान है वह धड़ल्ले से डॉक्टरेट की मानद उपाधि बेच रहें है जो की पूर्णतः नियम विरुद्ध है महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कई विदेशी संस्थान भी देश में कुछ शिक्षा कार्य में संलग्न स्टार्टअप के सहयोग से इसमें शामिल है।

मनीष शर्मा प्रदेश संयोजक नागरिक उपभोक्ता मंच तथा प्रदेश अध्यक्ष आरटीआई विंग आप ने बताया की विगत कुछ वर्षों से सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म में ऐसे संस्थानों के विज्ञापनों की बाढ़ आई हुई है जिनका यूजीसी से कोई भी लेना देना नहीं है , केंद्रीय उच्च शिक्षा विभाग तथा यूजीसी की लापरवाही के फलस्वरुप यह स्थिति उत्पन्न हो गई है ,कोई भी रिकॉर्ड किसी भी सरकारी संस्थान के पास नही है कि कितने हजार लोगों को यह फर्जी मानद उपाधि बेच दी गई है।

मनीष शर्मा , प्रफुल्ल सक्सेना, राकेश चक्रवर्ती ने बताया कि यूजीसी तथा केंद्रीय उच्च शिक्षा विभाग को लीगल नोटिस भेजकर यूजीसी अधिनियम 1956 के प्रावधानों का पालन करने तथा फर्जी संस्थानों और उनकी फर्जी मानद उपाधियां की जांच करने हेतु तत्काल उच्च स्तरीय समिति बनाने की मांग की है नोटिस में स्पष्ट किया है यदि नोटिस प्राप्ति के एक माह के अंदर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जाती गंभीर मामले को मान. उच्चयायालय के संज्ञान में लाया जाएगा ।

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