प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल, और खादी भी संदेह के घेरे में है
चीचली नगर में सट्टे का कारोबार फल-फूल रहा है, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल””नगर के लोग सवाल उठा रहे हैं जब चीचली नगर में सट्टे का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल, और खादी भी संदेह के घेरे में है।”
“पिछले कुछ महीनों में, गली-कूचों में खुलेआम सट्टे की पर्चियां काटी जा रही हैं और लोग दिन-रात इसमें शामिल हो रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने प्रशासन को कई बार शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।”
“प्रशासन की चुप्पी पर नगर के लोग सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि अधिकारियों और सट्टा कारोबारियों के बीच मिलीभगत हो सकती है तो खादी भी संदेह के घेरे में आती दिखाई दे रही है।”
“शॉर्टकट के जमाने में अगर पैसा कमाने के लिए भी ऐसा ही रास्ता मिल जाए तो किसे रास नहीं आता। वैसे भी कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की कामना हर वर्ग के लोगों की रहती है। शायद यही कारण है कि चीचली जैसे छोटे से नगर में बड़ी संख्या में लोग सट्टे का जाल में फंसते जा रहे हैं। इससे और किसी को फायदा हो या नहीं, लेकिन इस अवैध कारोबार से जुड़े लोगों के जरूर वारे-न्यारे हो रहे हैं।”
“नगर में मुख्य रूप से सट्टे का कारोबार खुलेआम चल रहा है, जिसने मुख्य रूप से युवा वर्ग को अपनी चपेट में ले रखा है। आलम यह है कि खुलेआम चल रहे इस अवैध कारोबार को लेकर कोई भी जिम्मेदार कार्रवाई तक करने को तैयार नहीं है। ऐसे में यह कारोबार न सिर्फ लगातार बढ़ता जा रहा है, बल्कि माया रूपी चमक को देखकर इसकी चपेट में आने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। यूं तो इसके प्रति ज्यादातर युवा लोग ही आकर्षित होते हैं, लेकिन कई ऐसे वरिष्ठ लोग भी शामिल हैं, जिन्हें इसकी लत लग चुकी है। ऐसे में वे इस बार न सही अगली बार के चक्कर में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा इसमें बर्बाद कर रहे हैं। जबकि दूसरी ओर उनके परिवार एक-एक पैसे को मोहताज होकर दुख झेल रहे हैं।”
“पहले के दौर में जुआ या सट्टा खेलना या खेलते हुए पकड़े जाना सामजिक तौर पर बुरा माना जाता था, परन्तु आज के युवाओं ने इसे अपना प्राफेशन बना लिया है। इसके चलते नगर में न सिर्फ सट्टा खेलने वालों की, बल्कि सटोरियों की तादाद भी बढ़ती ही जा रही है। यहां तक कि सट्टा लगाने के लिए नगर में कई लोग १० प्रतिशत की दर पर ब्याज पर भी राशि मुहैया करवा रहे हैं। एवं उससें भी अधिक ब्याज पर रकम मुहैया करवा अपनी चांदी कर रहे हैं। साल के 365 दिन पर्ची और मटके के सट्टे का कारोबार चलता है।”
“सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह कहा जा रहा है कि इन सटोरियों ने नगर के युवाओं को अपने जाल में इस कदर फंसा रखा है कि वे अपने पास रुपए नहीं होने पर उधार लाकर भी सट्टे में लगाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर रोजाना लडक़े आकर सट्टे में अपना भाग्य आजमाते हैं। एक बार कोई लडक़ा सट्टे में जीत जाता है तो वह अपने साथियों को भी यहां पैसा लगाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे यहां हर दिन ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है।”
“चीचली परिषद में बने बस स्टैण्ड के पास सटोरियों का मुख्य अड्डा है। इसके साथ ही मेन बाजार पर चाय के ठेलों, बस स्टैण्ड, पानी टंकी, खिरका मोहल्ला एवं कई जगहों पर खाईवालो यहां सट्टे का पूरा बाजार ही खोल रखा है।